राजेश शर्मा पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के अंग्रेज़ी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष रहे हैं। फलतः पाश्चात्य कविता एवं साहित्यशास्त्र के, पाश्चात्य दर्शन और वैचारिक शिल्प के गहन अध्येता रहे हैं। इनकी अन्य आलोचनात्मक कृतियों में इनके गंभीर विश्लेषण को अंग्रेज़ी भाषा के विद्वान जानते हैं। इन्होंने केवल अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य की ही श्री वृद्धि नहीं की बल्कि कई महत्वपूर्ण कृतियों की पंजाबी भाषा में रचना तथा अनुवाद करके पंजाबी के भाषाविदों को भी चमत्कृत किया है।
सेवानिवृत्ति के उपरांत राजेश जी ने हिंदी भाषा में कविताएं लिखीं और इस पांडुलिपि को पढ़ने का सौभाग्य मुझे मिला। इस पुस्तक का शीर्षक ही हिंदी की लघु कविता है, जो किसी भी पाठक के विचार-क्षेत्र को उद्वेलित कर सकता है। भाषिक व्यंजना का अनुपम उदाहरण!
जीवन के अनुभूत्यात्मक सत्य का साक्षात् प्रत्यावलोकन करने के लिए देखना होगा कवि मानस की संकल्प-सिद्धि है। मन के पटल पर अंकित भाव-चित्रों को नई शब्दावली, नया प्रत्यय, नई उपमाएं और विविध अनुपम बिंब देने की इच्छा यह शीर्षक उल्लास के साथ अभिव्यंजित करता है।